लोक संगीत होली की साहित्यिक] सांस्कृतिक विरासत:- माथुर चतुर्वेदी समुदाय के संदर्भ में | Original Article
संगीत की अमर धारा धरा के जन्म से ही आबद्ध रही है। इसलिये प्रकृति के हर तत्व में संगीत की स्वरलहरियाँ विद्यमान हैं। भारतीय समाज में भी वैदिक काल से संगीत की प्रधानता रही है। संगीत की इसी अमर परंपरा के वाहकों में भागीदार हैं माथुर चतुर्वेदी समुदाय। माथुर चतुर्वेदी समुदाय का अस्तित्व वैदिक काल से रहा है। मथुरा इनका मूल स्थान है। ब्रज निवासी होने के कारण लोक संगीत की अनुपम परंपरा इन्हें विरासत में मिली। विरासत में मिली लोक संगीत की (विशेषकर होली संगीत) इसी परंपरा को चतुर्वेदी समुदाय ने साहित्यिक और सांस्कृतिक रूप से सहेजा, उन्नत किया और कलांतर में नये आयाम दिये।